मुंगेर ऋषिकुंड | Rishi Kund Of Munger
खड़गपुर की पहाडि़यों पर स्थित यह तीर्थस्थल काफी मशहूर है। यह मुंगेर से २३कि॰मी॰ दक्षिण-पुर्व में लौवागढ़ी-पाटम-लोहची पथ में पहाड़पुर वनवर्षा के समीप स्थित है। इस स्थान का नाम प्रसिद्ध ऋषि श्रृंग के नाम पर रखा गया है। यहां मलमास के शुभ अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है। पर्यटकों के बीच यहां का गर्म झरना आकर्षण के केंद्र बिंदू में रहता है। ठंड के मौसम में इस झरने का पानी हल्का गर्म हो जाता है जिसमें स्नान करने के लिए दूर दराज से पर्यटक आते हैं। यहीं पर एक डैम का निर्माण भी किया गया है जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाता है। यहां स्थित कुंड जिसको लोग ऋषिकुंड के नाम से जानते हैं, के बारे में कहा जाता है कि व्यक्ति चाहे लंबा हो या छोटा पानी उसके कमर के आसपास तक ही होता है। यहीं भगवान शिव को समर्पित एक बहुत प्राचीन मंदिर है जो भक्तों के बीच काफी लोकप्रिय है।ऋषिकुंड से जुडी कुछ अन्य तथ्य भी है जो की निचे बताए गये हैं...
प्राकृतिक सौंदर्य के बीच गर्म जल के लिए प्रसिद्ध है ऋषिकुंड। पहाड़ की तराई से साल भर निकलने वाले गर्म जल से न सिर्फ लोग स्नान करते हैं, बल्कि इसका सेवन कर खुद को स्वस्थ भी रखते हैं।
मुंगेर के ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है ये ऋषिकुंड। जिला मुख्यालय से 20 किमी दूर खड़गपुर प्रखंड में स्थित ऋषिकुंड गर्मजल के लिए प्रसिद्ध है। यहां आने के लिए लोग निजी वाहन का उपयोग करते हैं। पहाड़ की तराई से निकलने वाले गर्म जल से न सिर्फ लोग स्नान करते हैं, बल्कि खुद को स्वस्थ रखने के लिए भी गर्म जल का सेवन करते हैं। भू-गर्भ में गंधक की मात्रा अधिक होने के कारण 24 घंटे गर्मजल की धारा प्रवाहित होती है। जहां से जल प्रवाहित हो रही है उसके पास ही एक तालाब है, जिसे ऋषिकुंड कहा जाता है।
जनश्रुति है कि ऋषि विभांडक का यहां आश्रम था। ऋषि यहां शिक्षा दान भी किया करते थे। ऋषि विभांडक के आश्रम के कारण ही यह जगह ऋषिकुंड के नाम से विख्यात हुआ। गर्म जल में स्नान करने व उसके सेवन से पेट रोग, चर्म रोग आदि से लोगों को मुक्ति मिलती है। यह स्थान काफी रमणीक है।
प्रत्येक तीन वर्ष में यहां मलमास मेला भी लगता है, प्राकृतिक सौंदर्य एवं गर्म जल की दृष्टि से हजारों की संख्या में लोग इस कुंड में डुबकी लगाने को पहुंचते हैं। हालांकि सरकारी उपेक्षा के कारण इस जगह को अन्य पर्यटक स्थलों की तरह महत्व नहीं मिला। कुंड की साफ-सफाई भी स्थानीय स्वयंसेवकों पर ही निर्भर है।